World Heart Day: आपने सुना होगा कि अमुक व्यक्ति की मौत चलते चलते नाचते गाते हो गयी। ऐसी खबरें अब आम हो गयी हैं और चौंकाती भी हैं। कई सवाल खड़े करती हैं पर यह तो तय है कि आज की जीवनशैली भी जोखिम भरी है। यदि आप सचेत न हों तो दिल की बीमारी आसानी से अपना शिकार बना लेती हैं।
सलाह सब मानते नहीं
हाल ही में एक साक्षात्कार में देश के जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नरेश त्रेहन ने बताया कि दिल की बीमारी की बढ़ती संख्या का बड़ा कारण अस्वस्थ्यकर जीवन शैली तो है ही पर इसके साथ साथ लोगों का डॉक्टर की बातों पर सही तरीके से अमल नहीं करना भी है।
डॉक्टर कुछ कहें और लोग उसे न मानते हुए अपने अनुसार ही चलते हैं और इसके बाद कुछ समय बाद जाकर उनका दिल (World Heart Day) बीमार होने लगता है।
जांच से रहें सुरक्षित
आपको कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत जांच करा लेना चाहिए। जांच मतलब ईसीजी, ईको, ट्रेडमिल टेस्ट आदि से आप दिल की बीमारी आपको है इसका पता लग सकता है। आपको कई बार एंजियोग्राफी भी करानी पड़ सकती है। इससे साइलेंट ब्लाक का भी पता चल जाता है।
जीनोम मैपिंग से आसान हुई राहें
विज्ञान व तकनीक का लाभ यहां भी मिलना शुरू हो गया है। जीनोम मैपिंग (Genome Mapping) भी उनमें से एक है। यह कितना अच्छा हो कि आपको पहले ही पता लग जाए कि आप बीमार हो सकते हैं। दिल की बीमारी आपको है यह जब निश्चित हो जाए तो आप उसी अनुरूप इलाज कराएंगे।
आपको डॉक्टर के अनुमान आधारित बातों या सलाह पर नहीं चलना होगा। बस जीनोम मैपिंग (Genome Mapping) यही है यानी इसकी मदद से पहले ही पता चल जाता है कि आप जोखिम से बाहर हैं या अंदर। साथ ही आपको किस तरह की इलाज की जरूरत है।
क्यों जीनोम मैपिंग अच्छा है
जीनोम मैपिंग (Genome Mapping) से हर व्यक्ति के अनुसार जोखिम का पता लग सकता है। दरअसल, जोखिम सबमें एक सा नहीं होता। जिस अनुसार जोखिम है उसी अनुरूप इलाज हो जाए तो वह उपचार सटीक तरीके से होता है। जैसे यदि मरीज को अधिक खतरा है तो उसे दवा भी उसी अनुरूप दी जाती है।
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