Ways To Practice Self Love: ऐसा अक्सर होता है हम जितनी चिंता औरों की करते हैं, उतनी अपनी नहीं करते। कुछ लोग स्वयं की चिंता या अपनी देखभाल को स्वार्थ समझकर इससे परे हटकर सोचते हैं। पर यह नजरिया आज ही बदल लें अपनों के प्रति हमारी (Self Love) जितनी जिम्मेदारी बनती है उतना ही जरूरी है खुद का ख्याल (Self-esteem) खुद से प्यार।
यह हो जाए तो आपको मिलता है दुनिया को देखने का नया नजरिया। यह आपको संतुलन की ओर ले जाता है। जीवन को सहज बना सकता है। पर हमें इसके लिए कुछ जरूरी बातों का रखना है ध्यान।
खोखली है ये बात
जब हम खुद को खो देते हैं या अपने आप को साबित करते रहने में समय जाया करते हैं तो इससे कुछ ठोस हासिल होने के बजाय हाथ आती है केवल चिंता व निराशा। यदि हम चाहते हैं ताकि दूसरे हमें महत्व दें तो इसका अर्थ यह भी है हम बस एक दबाव में जी रहे हैं। दबाव औरों को खुश रखने का जो बस खोखली बात है।
दबाव ओढ़ना सही नहीं
औरों को खुश रखने का दबाव दरअल हम स्वयं ओढ़ते हैं। कोई हमसे यह नहीं कहता कि आपको ऐसा होना चाहिए या ऐसा ही सोचना चाहिए। आपको पता ही नहीं कि किसे खुश रखना है बस आप (Self Love) एक प्रतियोगिता में होते हैं सबसे बेहतर होने की।
बेहतर होगा कि हम अब जागें और सही को समझें। सही यही कि हम स्वयं को समझें, इसे तरजीह दें। इसे बेहतर बनाने का प्रयत्न करके देखें।
खुद का ख्याल रखने का अर्थ
अपना ख्याल का अर्थ है स्वयं को पूरी तरह स्वीकार करना। हम स्वयं की अवहेलना इसलिए भी करते हैं क्योंकि हम स्वयं को सरलता से स्वीकार नहीं करते। स्वीकार करने अर्थ यह नहीं कि आपको हर वक्त स्वयं (Self-esteem) को आगे रख देना है। दूसरों को तवज्जों नहीं देना है। इसका सीधा अर्थ है स्वयं को एक माध्यम समझना।
हम तो एक माध्यम हैं
हम ऐसा माध्यम हैं जो सबका ख्याल रखता हो, सबकी कद्र करना जानता हो। कल्पना करके देखें यदि यह माध्यम ढीला, लापरवाह, कमजोर मन वाला हो तो कैसे औरों की देखभाल कर सकता है। वह कोई सटीक या उचित निर्णय (Self Love) कैसे ले सकता है।
कमजोर माध्यम होने से तो निश्चित तौर पर जिंदगी में (Self-esteem) उथल पुथल होगी व समस्याएं रहेंगी। इसलिए आज ही संकल्प लें कि हम एक सुंदर व मजबूत माध्यम बनेंगे ताकि सचमुच औरों का प्यार हासिल हो और खुशियां हमारे करीब रहे।
जब हम रखते हैं स्वयं का ख्याल
- तब चाहे दिखने में हम जैसे भी हों, रंग या शरीर का आकार जो भी हो, अपना आत्मसम्मान हम नहीं खोते।
- मनोदशाओं पर हमारी पकड़ मजबूत बनती जाती है। भावनाओं पर नियंत्रण जान जाते हैं।
- अपनी परेशानी का भी कारण समझ लगते हैं और उन्हें दूर रखने की पहल भी करते हैं।
- हम अच्छा खानपान का महत्व समझ सकते हैं, प्रयत्न करते हैं, योग व ध्यान को जीवन में अपनाते हैं।
- आत्मविकास के लिए निरंतर तत्पर रहते हैं। हर समस्या के लिए खुद को तैयार रखते हैं।
- कोई क्या कहे, क्या समझे इन बातों से दूर रहते हैं। रोज की ऐसी बातें मन को परेशान नहीं करती।
- अपने स्वभाव में रहना भाता है। इसे छोड़ते नहीं है क्योंकि यही एक सच्चाई जो हमें बनाकर रखनी है। हमें समझना है हम जैसे हैं वह स्वयं में विशेष है।
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