Stress Management Tips: हरदम खुश रहने का दबाव तो नहीं लेते आप?

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Stress Management Tips: ‘हमेशा खुश रहें’, ‘भगवान आपको सदा खुश रखें’, ‘आप दुखी क्‍यों हैं, इसका कोई लाभ नहीं, खुश रहना चाहिए’। ऐसी बातें, अक्‍सर कही सुनी जाती हैं। पर इसमें कितनी सच्‍चाई हो सकती है। इसका पता तो इस बात से ही चलता है कि आप ये बातें जानने के बाद भी दुखी रह सकते हैं तो कभी खुश भी।

यह है सच्‍चाई

यदि आप हरदम खुश रहने का अभिनय करते हैं तो यह संभव है कि आप अपने वास्‍तविक अहसासों को अनदेखा या दरकिनार कर रहे हैं। लोग हमेशा खुश रहने की सलाह दे तो देते हैं पर वह भी जानते हैं कि इंसान कभी एक सी अवस्‍था में (Stress Management Tips) नहीं रह सकता। वह भले दुखी रहे या खुश रहे पर इन दोनो के बीच ही रह सकता है। ये दोनो भाव मन के दो पक्ष हैं।

अनुभव के साथ बदलते भाव

हम जैसा अनुभव करते हैं भाव भी उसी सापेक्ष बदलते रहते हैं। अच्‍छा अनुभव होगा तो भाव भी उसी तरह का होगा। अच्‍छी सोच रहती है तो वह व्‍यवहार में भी नजर आता है। इन सबके बीच हमारी कोशिश यह हो कि जब नकारात्‍मक भाव (Stress Management Tips) आते हों तो अच्‍छे भावों से उनका बुरे भावों रुख कुछ समय के लिए बदला जाए।

हर भाव की अहमियत

यदि आपको लगता है चिंता या नकारात्‍मक बुरा है तो आप गलत हो सकते हैं। दरअसल, यह पूरी तरह सच नहीं। नकार नहीं सकते इनकी महत्‍ता। जब चिंता ही नहीं होगी तो आप कैसे आगे बढ़ेंगे। काम को पूरा करने का दबाव रहता है तभी वह आगे बढ़ता है और पूरा होता है।

शोक मनाने की परंपरा होती है, दुख व्‍यक्‍त करने का भी तरीका होता है। उदासी व्‍यक्‍त करते हैं तभी खुशी का मतलब भी समझ आता है। नकारात्‍मक है तभी सकारात्‍मक भावों का अस्तित्‍व भी है।

संतुलन में खुशी

अथाह दुख के बाद जब आप उबरते हैं तो लगता है आपमें व जीवन में एक महान बदलाव हुआ है। यह दरअसल, बुरे अनुभवों को संभालने के बाद का अहसास होता है। आप अच्‍छे व बुरे के बीच प्रबंधन करना जान जाते हैं और कुछ ही समय बाद में (Stress Management Tips) अहसास होता है यह एक वास्‍तविक खुशी है। एक उपलब्धि है जो बड़े प्रयासों से आपने पायी है।

आपको जीवन में हर हाल में आगे बढ़ना आ गया है क्‍योंकि आप सामान्‍य से अलग हैं क्‍योंकि आप अपने भावों को नियंत्रित करना सीख गए हें। संतुलन ही आपको खुशी देने लगता है।

ऊर्जा का लेन देन

मनो‍वैज्ञानिक आर्किस्ट डॉडसन लॉ मानती हैं कि तनाव या दबाव ठीक है पर बहुत कम या बहुत ज्यादा तनाव दोनों अच्छा नहीं। दुनिया की जानी-मानी सेल्फ हेल्प पुस्तक ‘द सीक्रेट’ में लेखक रोंडा बिरने ने भी कहा कि प्रकृति को आप जो कहेंगे, जो मांगेंगे वही आपको देगी।

यानी ब्रह्मांड में जैसी ऊर्जा भेजेंगे, वह वही आपको लौटा देती है। दरअसल, यहां दोनों प्रकार की ऊर्जा यानी पॉजिटिव-निगेटिव दोनों मौजूद हैं।

भावों का प्रबंधन

हरदम एक सा भाव रहे यह संभव नहीं क्‍योंकि मन के दो छोर हैं-एक अच्‍छा व दूसरा बुरा। हमें इन दोनो के बीच ही रहना है। न हरदम दुखी रह सकते न हमेशा खुश ही।

बस हरदम खुश रहने की बात से अलग हटकर बात करें तो हम बस इन दोनो भावों के बीच प्रबंधन (Stress Management Tips)करना सीख सकते हैं। पर इसका कुछ तरीका भी है?

भाव प्रबंधन के तरीके

  • नकारात्मकता के दलदल में फंस गए तो निकलने का प्रयास और फंसा सकता है। अच्‍छा होगा कुछ पल के लिए उन्‍हें स्‍वीकार करना या बने रहने देना।
  • जो निगेटिव है उसे पूरी तरह दबा देना या नष्‍ट करने से बेहतर है यह मान लेना कि वह वहां हमेशा नहीं रहने वाला।

बस आपको उन बुरे विचारों की दलदल में इतना नहीं डूबना कि निकलना मुश्किल हो जाए। और हां, खुश रहने का दबाव तो बिलकुल नहीं पालना, यह अब आप समझ रहे होंगे।

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