Meaning of Happiness: लंबी फेहरिश्त कामों की, सुख का नंबर कौन सा?

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Meaning of Happiness: क्‍या आपको भी यह प्रतीत होता है कि व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से दुखी रहना शायद एक आदत में भी तब्दील होता जा रहा है! दरअसल, बुनियादी रूप से सुख एक सकारात्मक, समरसतापूर्ण अनुभव है। इसके बारे में लोगों की परिभाषाएं अलग-अलग हो सकती हैं। कुछ लोग दुःख की अनुपस्थिति, ऐन्द्रिक सुख और दैहिक आराम को खुशी मानते हैं; कुछ लोग खुशी का अर्थ मानते हैं आतंरिक समृद्धि। आइए चिंतक चैतन्‍य नागर के साथ सुख की परिभाषा पर करें विचार।

 

जिसमें हो सार्थकता का अहसास

प्राचीन यूनानियों ने इन दोनों के लिए क्रमशः हेडोनिया और यूडेमोनिया शब्दों का इस्तेमाल किया। सुख सकारात्मक भावनात्मक अनुभव और जीवन में गहरी सार्थकता के आभास का मिश्रण होता है, जिसमें स्पर्श होता है संतोष, शांति और आनंद का।

सुख का क्षण कृतज्ञता का क्षण होता है; हमारा ह्रदय समूचे अस्तित्व के प्रति आभार से (meaning of happiness in Hindi) भर उठता है। सुख का पल करुणा का क्षण भी होता है, सिर्फ व्यक्तिगत नहीं बल्कि समष्टिगत ऐसी करुणा, जो आंखों से आंसू बन कर बह निकलती है।

भावों अनुसार बदलता सुख

सुख उन घटनाओं, चीज़ों या लोगों से ही नहीं आता जो हमारे जीवन में होते हैं। हम सुख को हथेली पर रख कर निहारें, तो वास्तव में वह हमारे अंतस से प्रवाहित होता दिखेगा। हम वस्तुओं या लोगों के बारे में अपनी सोच बदलते हैं तो हमारे दुःख खुशी में बदल जाते ही, भले ही वे लोग या हमारा जीवन न बदले! हमारी अपनी नकारात्मकता और विषाक्तता ही (meaning of happiness in Hindi) सकारात्मकता में परिवर्तित हो जाती है। वही स्थितियां या लोग जो हमें आज तक तकलीफ देते रहे हैं, अचानक सुख के स्रोत बन जाते हैं।

किसी काम से जुड़ा

सुख अक्सर किसी काम के साथ भी जुड़ा होता है। इसके अलावा यदि उन चीज़ों की एक फेहरिश्त बनाएं जो लोगों को खुश करती हैं तो उसमें कमोबेश ये शामिल होते हैं: परिवार, दोस्त और अच्छे संबंध, धूप, सर्दी, कुदरत और घर से (meaning of happiness in Hindi) बाहर खुले में रहना, अपनी पसंद का काम, कृतज्ञता और करुणा जैसे भाव, शारीरिक तंदुरुस्ती, आर्थिक सुरक्षा, सार्थक काम, कुछ हासिल करना और कोई सृजनात्मक काम करना।

उत्‍तेजना नहीं है खुशी

पर क्या खुशी लगातार नए अनुभवों की खोज में खुद को थका डालने में है? उत्तेजना में सुख हो, ऐसा नहीं लगता। खुशी में तो सुकून होना चाहिए।  काफ्का बड़ी खूबसूरती के साथ लिखते हैं: “आप अपना घर छोड़ें इसकी कोई दरकार नहीं। अपनी मेज पर ही रहें, और सुनें। सुनिए भी मत, सिर्फ इन्तजार कीजिये।

इन्तजार भी न करें, बस अकेले और शांत रहें। यह दुनिया खुद को आपके सामने पेश कर देगी। इसके पास और कोई चारा ही नहीं। अपने आह्लाद में डूब कर बस यह आपके क़दमों में लोटेगी।”

शांति में खुशी

अपने मशहूर किताब ‘द कॉनक्वेस्ट ऑफ़ हैप्पीनेस’ में बर्ट्रेंड रसेल लिखते हैं: “सुखी जीवन बहुत हद तक एक शांत जीवन होना चाहिए। शांति के वातावरण में ही वास्तविक आनंद का अनुभव किया जा सकता है। ” बापू का कहना था: “जब आपके कहने, बोलने और करने में समरसता होती है, तभी सुख होता है। ” वास्तव में कथनी और करनी का अंतर ही (meaning of happiness in Hindi) आतंरिक द्वंद्व और दुःख का दूसरा नाम है। जीवन का इसे एक दृढ सिद्धांत बना लिया जाए, तो शर्तिया जीवन में सुख बढ़ेगा, दुःख घटेगा।

न करें दुख का महिमामंडन

दुःख का महिमामंडन सुख को दीमक की तरह चाट जाता है। कीट्स लिखते हैं कि दुनिया एक ऐसी जगह है जहां लोग बैठ कर एक दूसरे की कराह सुनते हैं। वास्तव में दुःख में खूबसूरत कुछ भी नहीं।  यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को भारी नुक्सान पहुंचाता है।

अतृप्त कामनाओं से शुरू होकर यह एक ऐसे अवसाद की तरफ ले जाता है, जिसके दलदल में एक बार पांव धंसे तो उससे बाहर निकलना कठिन हो जाता है। ऐसे में सुख की खोज करने से बहुत ज्यादा जरूरी है हम अपने रोज़मर्रा के छोटे-छोटे दुखों की तह में जाएं और उनके कारणों को खत्म करें।

कुदरत में बस आनंद भरा

दुःख हमारी नैसर्गिक मनोदशा नहीं। वेदांत और बौद्ध धर्म हमारी ऐसी मूलभूत अवस्था की तरफ संकेत करते हैं जहां ‘शांति का एक द्वीप है’, जो हर तरह की उठापटक, उहापोह और उद्वेलन से दूर है। गौरतलब है कि समूची कुदरत में सिर्फ आनंद है, बस एक इंसान ही है जो इस अद्भुत गणितीय व्यवस्था और इसके आनंद से छिटक (meaning of happiness in Hindi) कर कहीं दूर जा गिरा है और अपने स्व-निर्मिंत दुःख में लोट रहा है। दुःख को यह समझते हुए आने-जाने दिया जाए कि उसके क्षणभंगुर बादलों के ठीक पीछे हमेशा एक मुस्कुराता हुआ आसमान लगातार हमारी प्रतीक्षा में है।

सादगी की खुशी

सादगी में भी अद्भुत सुख है| आइन्स्टाइन कहते थे: “एक मेज, एक कुर्सी, फलों का एक कटोरा और एक वायलिन…खुश होने के लिए इससे अधिक भला क्या चाहिए”। मशहूर अन्तरिक्ष वैज्ञानिक स्टीवन हॉकिंग अपनी मोटर न्यूरॉन संबंधित बीमारी की वजह से वे बोल तक नहीं पाते थे। हॉकिंग एक मशीन के सहारे बात करते थे।

एक बार किसी ने उनसे पूछा कि ऐसा जीवन जीते हुए उन्हें कैसा महसूस होता है। हॉकिंग का जवाब था: “इतना कुछ तो है; जीने के लिए और क्या चाहिए!” कार्ल मार्क्स की भी यह बात कितनी सटीक है: “आपके पास जितना अधिक होता है, आप उतने ही कम होते हैं”।

हैप्‍पीनेस पुस्‍तक का सार

एड डेनर अमेरिका के इलिनोइ विश्विद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर और ‘पर्सपेक्टिव्स ऑन साइकोलॉजिकल साइंस’ के संपादक हैं। लोगों को क्या सुखी बनाता है इस विषय पर शोध करने में उन्होंने कई दशक खर्च किये हैं। उनकी नई पुस्तक का नाम ही है हैप्पीनेस। उनके मुताबिक सुखी व्यक्ति ज्यादा धन कमाता है, दीर्घजीवी होता है और अच्छा नागरिक भी बनता है। डेनर का कहना है कि पांच कारक जो आपको खुश बनाते हैं वे हैं, सामाजिक बंध, स्वभाव, धन, समाज और संस्कृति एवं सोचने की सकारात्मक शैली।

 इसे एक विषय की तरह पढ़ाया जाए

डेनर का कहना है कि स्कूल के स्तर पर सुख का अध्ययन होना चाहिए। दैनिक जीवन में इसकी गहरी प्रासंगिकता है। उनके अनुसार शोध के लिए यह एक नया विषय है और इस पर सोचने, पढने के लिए बहुत कुछ उपलब्ध है। ताज्जुब की बात है कि जिसकी हमें सबसे अधिक जरुरत है, उसके अभाव को हम बचपन से ही अनदेखा करते जाते हैं।

एक खेलता-कूदता बच्चा लोगों को अगंभीर और जीवन में असफलता की तरफ बढ़ता दिखाई देता है। पढाई और परवरिश, सफलता की उपासना के जरिये हम उसे अपने उदास समाज में शामिल करने में लग जाते हैं! समाज को सफल और शिक्षित पर दुखी इंसान चाहिए या एक कम शिक्षित पर सुखी इंसान? यह एक बड़ा सवाल होना चाहिए।

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