How to Fight Loneliness:अकेला छोड़ दो कह तो देते हैं पर आप अकेले कभी नहीं हुए…

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How to Fight Loneliness: जब किसी से बात बिगड़ जाए, हो जाए कोई अनबन तो झट से कह देते हैं हम कि छोड़ दो न मुझे अकेला। मन भी कहता है अक्‍सर कि सारी दुनिया से दूर हो जाएं।

अकेलापन (How to Fight Loneliness) ऐसा भाव है कि यदि लंबे समय तक आपके भीतर रहा तो डेरा बना लेता है। दिमाग उसी तर्ज पर चलते चलते अकेले को ही सत्‍य समझ लेता है। हालांकि यह सही है कि हर इंसान है अलग और सबसे जुदा पर वह अकेले रहने के लिए नहीं बना।

जब मन का नुकसान हुआ

जब घरों की दीवारों के भीतर कैद था आदमी। कोवि‍ड वायरस ने उसे मजबूर किया कि वह दूर-दूर रहे लेकिन शरीर तो दूर रहा लेकिन मन कितना परेशान हो गया, यह सब जानते हैं। कोविड के उस दौर में जो मन का नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करने में शायद वर्षों लग जाए। याद रहे कि अकेलापन (How to Fight Loneliness) केवल नकारात्मक भाव नहीं है जिसे दबाया या हराया जा सके। इसके कडि़यों को बारीकी से समझना होगा।

अहसास है बस

अकेले छोड़ दो यह आप दो परिस्‍थि‍ति में कह सकते हैं। एक आप उदास हों और दूसरा आपको सचमुच इसकी जरूरत होती है। जब इसकी जरूरत होती है तो वह एकांत होता है यह आपको अच्‍छा लगता है। आप एकांत में कहीं भी हो सकते हैं पर अकेले होने के लिए आपको एक भीड़ भी चाहिए होती है। विचारों की भीड़ में साथ रहने के बाद आप लोगों की भीड़ में भी खुद को अकेला महसूस कर सकते हैं।

खुद में तथ्‍य नहीं

अकेलापन तभी महसूस करते हैं जब आपकी जरूरतें नहीं पूरी होती हो। हालांकि समाज में अकेलापन का अहसास एक टैबू है। अकेलापन (How to Fight Loneliness) कैसे काम करता है और इसके बुरे पक्षों से हम खुद को कैसे बचा सकते हैं बस यह जानना जरूरी है।  यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के सोशल न्यू्रोलॉजिस्‍ट जॉन कैशियापो और उनके सहयोगी कहते हैं ‘अकेलापन आत्मकनिष्ठ़ अहसास है। खुद में अकेलापन तथ्य नहीं है।‘

एक अवस्‍था है यह

जॉन के अनुसार, अकेलापन वह अवस्था है जब इंसान मित्रता की गर्माहट के अहसास से दूर होने लगता है। वह मन के शातिर चक्र में फंसकर समाज की हर चीज को गलत तरीके से समझने लगता है। हर चीज से विमुख होने लगता है।यहां तक कि इंटरनेट और फोन से होने वाले वार्तालाप में भी जवाब नहीं दिए जाने पर असामान्य रूप से दुखी हो जाता है। उसे लगता है सब खत्म हो गया। कोई प्रेम के लिए बचा नहीं।

तब भय कम होगा

दरअसल, जुड़े होने की जरूरत हमारी केंद्रीय जरूरत है। हर समय जुड़ाव चाहते हैं हम। लोगों से जुड़ाव का चाहना आपको परेशान करता है तो बस कुछ उपाय करें। सांस से जुड़े योग करें। प्रकृति से जुड़ें। नए पत्तों  को देखें। बादल को निहारें और जो ग्रहण कर रहे हैं उसकी खुशबू और स्वाद को महसूस करें। प्रकृति अपने नियम से चल रही है। इस पर ध्यान दें तो अहसास होगा कि अकेलेपन (How to Fight Loneliness) का भय कम हो रहा है।

जब कला का साथ हो

अकेलापन हावी हो रहा हो तो थाम लें कला का दामन। यह सबसे समृद्ध और प्रभावशाली सांत्वना होती है जो आपको हरदम साथ रखती है। उपन्यास, चित्रों या सिनेमा आदि में एक जादूई क्षमता है जो आपको असंख्य अजनबी चीजों से हमें जोड़े रखती है। याद रहे यह मिलने और देखने की तरह ही है।

प्रेम केवल स्पर्श से बताया नहीं जा सकता। यह किताबों में लिखे शब्दों के जरिए यात्रा कर सकता है। हालांकि यह कहना बड़ा अजीब होगा पर इनकी मदद से अकेलापन के (How to Fight Loneliness)  साथ हम आराम से रह सकते हैं। अजीबोगरीब बात ही सही पर यह हमें मानवता के सामान्य धरातल पर रखता है।

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