How to Deal with Anxiousness: अहसास जब मन को डराने लगे तो क्‍या करें!

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How to Deal with Anxiousness:जब कोई सामान खराब हो जाए, घर पर अचानक आपको उन कारणों से परेशानी आने लगे तो आप उसे सही करने के लिए किसी पेशेवर की तलाश करते हैं। इसके लिए आप खुद भी कोशिश करते हैं पर जब आपकी भावनाएं या अहसास खराब होने लगे, मन में उलझनें बढ़ाने लगे तो आपको क्‍या करना चाहिए! यह सबसे बड़ा सवाल है। आइए इसके जवाब तलाशें।

जब होती उलझनें

उलझनें आने से परेशान हो जाना सामान्‍य बात है। यह एक आसान तरीका भी है कि आप तुरंत बुरे अहसास से इतने परेशान हो जाएं कि आप उस बारे में बात करना,उसे शेयर करना चाहें कि आपको आराम मिले। हालांकि ऐसा पूरी तरह होता नहीं आपको आराम मिले जरूरी नहीं।

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एमिगडाला करता है मदद

जब बुरे अहसास आपको घेर लें तो क्‍या करता है आपका दिमाग। बता दें कि जब अहसास गहरे हों और भय या चिंता से जुड़े हों तो आपके दिमाग का एमिगडाला वाला हिस्सा इस दौरान सक्रिय हो जाता है। जब आप भावुक या ज्यादा डर जाते हैं तो आपकी विचार प्रक्रिया को यह नियंत्रित करने में आपकी मदद करता है।

तब और बड़ी होगी समस्‍या

दक्षिणी मेथोडिस्टर यूनिवर्सिटी टेक्सास, अमेरिका में होने वाले एक शोध के मुताबिक, किसी समस्या  के बारे में बात करना या लिखना एक थेरेपी की तरह कारगर है। पर अनेक रिसर्च में यह दावा किया गया है कि यदि आप अपने डर वाले अहसास को खुद सक्रिय रूप से दबाने या खत्म करने की पहल नहीं करते उसका असर उल्टा हो सकता है। यानी आपकी बेचैनी और बढ़ सकती है, आपको समस्‍या विकट लग सकती है जिसका कोई समाधान नहीं।

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शब्‍द बन जाते हैं मरहम  

कितना अच्‍छा लगता है कि संकट आने पर जब कोई शब्‍द या किसी का कही बात आपके मन को राहत दे जाए। कोई कहे वक्‍त है गुजर जाएगा तो भावनाएं एकदम से दूसरी दि‍शा यानी नकारात्‍मक से सकारात्‍मक दिशा में मुड़ जाती हैं। ध्‍यान रहे आप घर पर बात करें या फोन पर अथवा सोशल मीडिया पर आपका हर संवाद पहले आपके मन को प्रभावित करता है।

सामाजिक सेहत के लिए जरूरी

विश्व स्वास्‍थ्‍य संगठन ने परस्पर होने वाले संवाद को सोशल वेलबीइंग यानी सामाजिक सेहत के लिए एक जरूरी कारक माना है। इसलिए बातचीत के कंटेंट पर विशेष ध्‍यान रखें। ध्‍यान रहे इसके माध्यम से आप एक तरह से लोगों के मन को प्रभावित कर रहे हैं। यह आपको समाज में आपकी अपनी छवि बनाने में मददगार है।

क्या करना चाहिए-

  • आधिकारिक व सही तथ्‍यों से खुद को लैश करना जरूरी है ताकि आप सही तथ्‍य के साथ ही बात करें।
  • जब तक अपनी तरफ से आश्वस्त न हो जाएं अपनी बात न कहें। अन्‍यथा आप बाद में स्‍वयं शर्मींदा हो सकते हैं।
  • सही व्यक्ति से अपनी बातें शेयर करें यानी उनसे जहां से आपको सही सूचना मिले और उचित मदद भी।
  • जब भी बुरे अहसास हों तो केवल नकारात्‍मक व्‍यक्‍त न करें, इनके साथ-साथ अच्छी बातों की भी चर्चा करें।  यह आपका मन और जो आपको सुन रहा है उसे भी राहत देगा।

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