Health and Fitness Tips By Mahatma Gandhi : आज जीवन का केंद्रीय विषय बन गया है स्वास्थ्य यदि आप कुछ खा रहे हैं तो सबसे पहला ख्याल आता है कि वह कितना सेहतमंद है, क्या उसे आपका शरीर ग्रहण करने में पूरी तरह सक्षम है, महात्मा गांधी की बात करें तो उनकी शारीरिक व दिमागी मजबूती की न केवल देश बल्कि दुनिया कायल है वे हमेशा सेहतमंद रहे ऐसा नहीं पर वे सेहत के बारे में गहरा विचार रखते थे।
किताब में दिए सेहतमंद रहने के मंत्र (Key to Health By Mahatma Gandhi)
उन चीजों को वे अपने जीवन में आजमाते हुए आगे बढ़े अपनी किताब-‘की टू हेल्थ’में उन्होंने कुछ पते की बात कही है आइए उनके कुछ अंशों की मदद से जानें…
सेहतमंद कौन है?
गांधी के अनुसार स्वास्थ्य (Health and Fitness Tips By Mahatma Gandhi) का अर्थ है-शरीर की अवस्था जब वह बिना थकावट के आराम से अपना काम संपन्न कर सके। ऐसा व्यक्ति हर दिन दस से बारह मील पैदल चल सकता है। वह भोजन को आसानी से पचा सकता है और ऐसे व्यक्ति की सारी इंद्रियां सामंजस्य में बनी रहती हैं। यह भी मानकर चलें कि स्वस्थ रहने का यह अर्थ नहीं कि आपका शरीर मजबूत कद काठी का हो, देखने में मांसल हो।
शाकाहार में मिल्क प्रोडक्ट लें
गांधी जी ने अपनी पुस्तक में कहा था कि मैं शुद्ध शाकाहारी आहार लेने की पक्ष में रहता हूं। मैंने अपने अनुभव से सीखा है कि पूरी तरह फिट रहने के लिए हमें शाकाहार में दूध और दुग्ध पदार्थ जैसे दही, मक्खन, घी आदि लेना चाहिए।
अनाज को अनदेखा न करना
दूध के अलावा, शरीर को दूसरी चीजें भी चाहिए। गांधी दूसरे नंबर पर अनाजों को रखते थे जैसे, गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा आदि। ये वह अनाज हैं जो भारत में प्रमुखता से हर प्रांत में प्रयोग होता है।
चबाकर खाना चाहिए
गांधी (Health and Fitness Tips By Mahatma Gandhi) कहा करते थे कि हमारी आदत रही है कि दाल या सब्जी में रोटी को डूबो कर खाने के कारण हम पर्याप्त रूप से चबाते नहीं, निगल जाते हैं। जबकि चबाकर खाना पाचन के लिए जरूरी है। खासकर स्टार्च के पाचन के लिए यह जरूरी है।
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मौसमी फलों का सेवन
हमारे दैनिक आहार में मौसमी फल अवश्य होने चाहिए। गांधी के अनुसार, फल लेने का बेहतर समय प्रात: काल है। दूध और फल नाश्ते में लेना अच्छा है यह संतोष देता है। दूध और केला परफेक्ट भोजन माना जाता है।
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स्वाद के लिए न करें भोजन
भोजन करना आपका काम है, इसे अपना काम समझकर करें। बढिय़ा सजी हुई थाली या जिहवा के संतोष के लिए भोजन न करें। जब तेज भूख लगी हो तो खाने में मजा आता है। हमारी गलत आदतें और जीने के बनावटी तरीकों के कारण बहुत कम लोगों को पता होता है कि उनके शरीर को क्या चाहिए?
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अच्छी नींद के लिए
नींद अच्छी चाहिए तो केवल दिमाग नहीं शरीर को भी व्यस्त रहना चाहिए। शारीरिक श्रम नही कर सकते, तो नियमित व्यायाम करना चाहिए। शरीर को सीधी मुद्रा में रहना चाहिए। नहीं रहता है तो यह आलस्य का संकेत है गांधी के अनुसार आलस्य आत्मसंयम का दुश्मन है।
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