Boost Your Mental Health: मन इतना डरा और बेचैन क्‍यों रहता है?

Boost Your Mental Health: जिंदगी है, तो यहां तनाव स्‍वाभाविक है। यह हमेशा बुरा नहीं पर जब यह हावी होकर जिंदगी में हलचल पैदा करने लगे तो क्‍या करें!

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Boost Your Mental Health: मानसिक सेहत को अक्‍सर अनदेखा कर देते हैं हम। पर यही चीज आगे चलकर भारी पड़ जाती है। यह जब कोई बीमारी का रूप ले ले तो दिमाग का विनाशकारी प्रभाव आपकी जिंदगी को तहस नहस कर सकता है। आपका स्‍वयं पर नियंत्रण नहीं रहता तो आप अपने जीवन की सारी घटनाओं का दारोमदार औरों पर डाल देना चाहते हैं।

जब आपकी जिंदगी आपकी नहीं रह जाती, औरों के हाथ चली जाती है तो खुशियां दूर चली जाती हैंं।कामयाबी खुश नहीं कर पाती।  एक अनचाहा डर व तनाव पूर्ण विचारों का डेरा बन जाता है आपके भीतर। यहां बस सवाल एक ही है कि ऐसे में हम क्‍या करें, आइए कुछ पहल करें।

इन विचारों या सलाह को आप मन की अच्‍छी सेहत की कसौटी मान सकते हैंं-

  • क्‍या आप मानसिक सेहत को शारीरिक सेहत से जोड़कर देखते हैं। यदि हां तो आप मानते होंगे कि तन व मन अलग नहीं। अच्‍छी नींद, बेहतर भोजन, कसरत आपको तन मन से रखता है फि‍ट, इन्‍हें  दिनचर्या  का अहम अंग मानें।
  • आहत हैं या आप भीतर से उलझे हुए तनावग्रस्‍त हैं तो इस गुत्‍थी को सुलझाना जरूरी है। यह सबसे जरूरी काम मानें और इसके उपाय करें। 
  • दूर करें गलतफहमी करें संवाद। गुस्‍से में आप कह तो देते हैं कि अब हम अकेले रह लेंगे पर यह संभव नहीं। आपको सबके बीच ही रहना है वह भी बिना तनाव के, प्रेम व मैत्री भाव से। इसके लिए जरूरी है बातचीत और थोड़ी समझदारी व संयमपूर्ण व्‍यवहार।

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  • व्‍यस्‍त रहना है और सक्रियता बढ़ानी है, योग व ध्‍यान से मन को रखना है शांत व ताजा।
  • खाली मन शैतान का यूं ही नहीं कहा गया। आप यह मानते हैं तो कुछ  कुछ करते रहें। कुछ नए शौक पैदा करें उनमें अपनी रचनात्‍मकता का उपयोग करें।
  • प्रकृति‍ से प्‍यार है तो सुंदर है संसार वे लोग जो प्रकृति से दूर हो जाते हैं और कंक्रीट के जंगल में रहते हैं उनकी मानसिक सेहत ठीक होने की दर ज्‍यादा रहती है। खुशहाली रहती है निडर होते हैं वे लोग।  
  • आइए अपना दायित्‍व निभाएं। हम सामाजिक हैं। हम अपनी मर्जी से यहां नहीं आए बल्कि यह सब दुनिया हमें मिली है। हमारा दायित्‍व है कि इसे सुंदर बनाएं। सुखद अहसास मिलेगा और आपको तनाव भी नहीं होगा।

  यह सब संकेत है कि आपको डॉक्‍टर से मिलना है, सलाह लेनी है

  • जब भावना, विचार या व्यवहार के स्तर इतने उलझ जाएं कि रोजाना का जीवन बोझिल महसूस हो
  • नींद खराब हो, उदास रहने लगें या बेचारगी महसूस करें
    बेवजह चिंता में डूबे रहना, मामूली सी बात भी बड़ी लगे
  • लोगों से मिलना जुलना न सुहाए आदि।

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