Beat Stress with Curiosity: तनाव जीवन का हिस्सा बन गया है। हर उम्र के लोग इससे जूझ रहे हैं। इसे उतनी अहमियत नहीं देते इसलिए इसके निदान व समाधान के प्रति उदासीन रवैया आम बात है। पर तनाव को हराना है और उस जीत पाकर जीवन को दोबारा पटरी पर लाने के लिए एक पते की बात बतायी है हाल ही में आई एक शोध ने।
आपको बस इतना करना है कि आप अमुक बातें क्यों घटी, कैसे घटी, इस तरह की जिज्ञासा पर विचार करें। बस इस पर सोचें। आप पाएंगे दिमाग में बैठा तनाव छू मंतर होने लगा है।
भविष्य के प्रति आस
शोध के अनुसार, छोटी-छोटी बातों में उत्सुकता रखने वाले ऐसे लोग जो भविष्य के प्रति भी अपनी आस बनाए रखते हैं तो वर्तमान में काफी अच्छा महसूस करते हैं। इनके जीवन में अगर कोई तनाव या चिंता आती भी है तो वह ज्यादा टिक नहीं पाती। साथ ही ऐसे लोगों में अवसाद होने की संभावना भी काफी कम होती है।
मोंटी फियोर मेडिकल सेंटर की मुख्य मनोचिकित्सक सिमोन के मुताबिक, शोध में (Beat Stress with Curiosity) पता चला है कि छोटी-छोटी खुशियों के विचार और उनके प्रति उत्सुकता वर्तमान में अच्छा महसूस कराते हैं और तनाव से हमें दूर रखते हैं।
अपने लिए जिए तो क्या जीए
यह गीत हौसला देता है कि आप और हम केवल अपने लिए सोचकर तनाव और पैदा कर लेते हैं। अपने जीवन का विस्तार करें थोड़ा समानुभूति पैदा करें लोगों के दुख में शामिल हों, उन्हें गले लगाएं। शोधकर्ताओं के अनुसार, इस प्रकार के लोग दूसरे लोगों को भी तनाव से दूर रख सकते हैं।
ऐसे लोग प्रेरणा, आशा और धीरज का संचार करते हैं। यह लोग जीवन का भरपूर (Beat Stress with Curiosity) आनंद उठाना चाहते हैं और जीवन को खुल कर जीने में विश्वास रखते हैं।
है ये पुरानी आदत
जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं हमारी जिज्ञासु आदत कम होने लगती है। छोटी-छोटी बातों के प्रति उत्सुकता तो हम जैसे छोड़ ही देते हैं। इस कारण हमें जो मिल रहा होता है उसे न देख कर जो नहीं है उसे देखने लग जाते हैं और छोटी-छोटी बातें फिर हमें खुशी भी नहीं दे पातीं। तनाव में रहने का यह मूल कारण है कि हर वक्त नकारात्मक पहलु पर पहले विचार करना।
भविष्य के प्रति सकारात्मक रहने से तनाव को दूर किया जा सकता है। यह बात (Beat Stress with Curiosity) तो कई अध्ययनों में साबित हो चुकी है। छोटी-छोटी बातों के प्रति भी आपकी उत्सुकता बनी रहती है तो भी तनाव जीवन से दूर भाग सकता है। इसलिए भविष्य के प्रति आस कभी नहीं छोड़नी चाहिए।
खुशी का मूल-मंत्र
इस संबंध में मनोचिकित्सक डॉ अनिल वार्ष्णेय कहते हैं उत्सुकता और भविष्य के प्रति आशावादी होने को जीवन में खुश रहने का मूल मंत्र भी बनाया जा सकता है। यदि जीवन का भरपूर आनंद लेना चाहते हैं तो भविष्य (Beat Stress with Curiosity) में किसी अच्छी घटना को लेकर पहले ही विचार करें, उसके बारे में कल्पना करें फिर उसकी आस बनाए रखें।
डॉ अनिल का कहना है कि आपने बच्चों को देखा होगा वो छोटी सी चीज के लिए कल्पना करने लगता है और उत्सुक रहता है कि उसका मनचाहा काम कैसे पूरा हुआ। जैसे, अगर वो पिकनिक पर दोस्तों के साथ जाएगा तो क्या-क्या करेगा आदि-आदि।
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