Happiness with Aging: उम्र नहीं जीवन को देखें तो हरदम रहेंगे हैप्‍पी हैप्‍पी

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Happiness with Aging: मन जैसा सोचता है हम वैसा बन जाते हैं, यह हमें बुद्घ ने सिखाया है। क्‍या हम इस कथन को अमल में लाते हैं? बेशक इसी पर टिका है हमारा जीवन। हमें तंदरुस्‍त रहना है, अभी तो हम जवान हैं जैसी बातें करने वाले व ऐसी सोच रखने वाले की संख्‍या काफी है। पर उम्र का रोना रोने वाले भी कम नहीं। कहना होगा कि उम्र को पीछे धकेलना हमारे वश में नहीं है। आपकी उम्र पीछे की ओर नहीं दौड़ सकती।

आप चाहें न चाहें यह आगे ही जाएगी। सत्तर के हैं साठ के नहीं हो सकते। आप साठ की उम्र से दस साल आगे ही रहेंगे। पर ध्‍यान रहे उम्र को लेकर मन को नकारात्‍मक न बनाएं। जिंदादिली बनी रहे हमारी तो इसके लिए निरंतर सक्रिय रहना चाहिए। अन्तर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस 1 अक्‍टूबर (International Day of Older Persons) पर आइए इस विषय पर करें चिंतन।

बूढ़ा हूं यह लोग कहते हैं..

यह कहा करते हैं विश्व के सबसे बूढ़े प्रधानमंत्री मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मुहम्मद की उम्र 92 साल है लेकिन वे खुद को बूढ़ा नहीं मानते। जब उनसे एक इंटरव्यू में पूछा गया कि आप इस उम्र में एक देश को संभाल रहे हैं, पहले की तरह ही दुनिया घूमते हैं, यह इतनी ऊर्जा कहां से आती है तो उनका बेहद सरल सीधा जवाब था, ‘मेरी जैविक उम्र इतनी नहीं हुई है, हां लोगों के लिए मैं बूढ़ा हो सकता हूं। उनकी दो बार हर्ट सर्जरी हो चुकी है। उनका फिटनेस मंत्र है-ज्यादा से बचना।

नहीं जीवन का ठहराव काल

बूढ़े होने का अर्थ यह बिलकुल नहीं कि आप जीवन से कट जाएं। रिटायर होने के बाद इसे अकेलेपन में बिताएं। आप यह धारणा मन में बसा लें कि सिवाय पूजा पाठ के अब कुछ बचा नहीं। पर यह विचार इतने गहरे जमा है कि लोग अक्‍सर बूढ़ापा (International Day of Older Persons) का स्वागत नहीं करते बल्कि इतना डरते हैं इस उम्र में आने से कि चालीस के बाद ही इसका डर पाल लेते हैं।

‘बूढ़ापा बड़ा रोग है, भगवान जल्दी उठा ले  या  बहुत जी लिए कितना जिएंगे जैसे जुमले प्रयोग होते हैं जो मन को नहीं तन की सेहत का भी नुकसान करते हैं।

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जीवनशैली है न अच्‍छी?

कैर्लिफोनिया यूनिवर्सिटी की मनोचिकित्सा की प्रोफेसर एलिसा एपेल जीवनशैली और उम्र के बीच के संबंधों का अध्‍ययन करते हुए कई राज खोलती हैं। उनके मुताबिक, यदि आप यह सोचें कि आप बेहतर जिंदगी चाहते हैं तो अपनी दिनचर्या में वह सब बदलाव करेंगे जो आपको फिट बनाते हैं तो आप जरूर उम्र बढ़ने (International Day of Older Persons) की निराशा को पीछे छोड़ सकते हैं।

वक्त के साथ चलना और ढलना

वक्त के साथ बदलना और परिस्थितियों के संग-संग ढलते जाना ही जिंदगी है और इसके लिए फिट रहना बहुत जरूरी है। यदि आप खुद से प्यार करें, ‘जियो और जीने दोÓ वाली बात को अपने जीवन पर लागू करें तो न जिम्मेदारी रुलाती है और न बढ़ती उम्र परेशान रखती है।

बुर्जुर्ग की अलग दुनिया

तेजी से सिकुड़ते परिवारों में भी सभी सदस्यों की एक अलग दुनिया है। इनमें बुर्जुर्गों की दुनिया तो सबसे अलग है। बड़ी संख्या में बुजुर्ग भी घर में या घर के बाहर पार्कों में अकेले बैठे दिखते हैं। अक्‍सर ऐसा माना जाता है कि बुजुर्ग अब असमर्थ हैं। काम कुछ कर नहीं सकते। यह स्‍वयं बुजुर्ग मान लें तो इसका केवल नुकसान है।

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ताकि आत्‍मबल बना रहे

हर इंसान समर्थ है चाहे उम्रदराज ही क्‍यों न हो। शारीरिक क्षमतानुसार कुछ न कुछ करते रहने से आत्‍मबल बना रहता है। खालीपन या अकेलापन को हावी नहीं होने देने का इससे अच्‍छा तरीका और नहीं कि आप सक्रिय रहें।

जापान की कॉस्मेटिक कंपनी पोला का जिक्र किया जा सकता है, जहां केवल बुजुर्ग (International Day of Older Persons) कर्मचारियों को काम पर रखा जाता है। वहां 80 से 100 साल तक की महिलाएं काम करती हैं। कंपनी का ऐसा मानना है कि वे अपने अनुभव के आधार पर बेहतर सेवाएं दे सकती हैं।

आत्‍मनियंत्रण की शक्ति

सियोल राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के एक ताजा शोध के हवाले से कहें तो ऐसा संभव है। हम सकारात्मक सोचें तो निर्णय और आत्मनियंत्रण की शक्ति बेहतर होती है और निराश होने की संभावना भी अपेक्षाकृत कम होती जाती है।

शोध भी कहते हैं

दक्षिण कोरिया की यूनिवर्सिटी ऑफ सियोल के वैज्ञानिक 59 साल की उम्र पार कर चुके लोगों के एमआरआई स्कैन के अध्ययन से इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जिन लोगों को अपनी उम्र का अहसास होता है उनकी याददाश्त कमजोर होती जाती है। इस शोध में शामिल डॉ. जिनयुंग चे के अनुसार अपनी बढ़ती उम्र से बेफिक्र लोगों के दिमाग की संरचना बिल्कुल युवाओं की तरह होती है।

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उम्र को भूल जाएं, जीवन को नया बनाएं

  • लिखना-पढऩा या फिर बागवानी जो कुछ हो शौक विकसित करें।
  • टेलीविजन या रेडियो पर निर्भरता कम हो। पारिवारिक समारोहों में भाग लें।
  • नियमित चिकित्सा जांच कराना नहीं भूलना है।
  • बीड़ी-तंबाकू, किसी भी तरह के नशे से दूर रहना चाहिए।
  • बच्चों के साथ खेलें। उनके दोस्त बनकर बच्‍चा बन जाएं।
  • दिमागी कसरत वाले खेलों में रुचि लेना फायदेमंद होगा।
  • प्रकृति के निकट रहकर रहें तरोताजा
  • माफ करो और भूल जाओ की नीति कारगर है।
  • उम्र को भूलकर कुछ नया सीखें। कोई सीमा नहीं सीखने की।

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