Best Ayurvedic Remedy for Sleep : आयुर्वेद में जीवन के तीन स्तंभ यानी आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य एक दूसरे गहरे जुड़े हैं। इनमें नींद की बात करें तो आज जिसे देखो नींद की शिकायत कर रहा है, नींंद की गोलियां ले रहा है। आज जीवनशैली ऐसी हो गयी है कि जल्दी सोने जागने का नियम तो जैसे भूल गए हैं लोग। देर रात जागकर काम करना हो या पार्टी की मजबूरी, इस तरह से सोने में अनियमितता नींद पूरी होने देता है। बता दें यह हमारा पाचन तंत्र पर भी प्रभाव डालता है। मोटापा जिसे अधिकांश बीमारियों का जड़ कहा जाता है, खाने पीने में अनियमितता के कारण होता है। कहने का अर्थ है नींद की कमी हमारी सेहत को बुरी तरह प्रभावित करता है। नींद की समस्या के निवारण के लिए तमाम उपायों के साथ आयुर्वेद को अपनाना भी कारगर हो सकता है। आइए नींद से समझौता बंद करें और चलें आयुर्वेद की ओर।
तनाव को बाय कहना ही होगा
नींद नहीं आने का प्रमुख कारण हरदम दबाव में रहना व तनावपूर्ण जीवन है। तनाव के कारण अनियमित दिनचर्या का जन्म भी होता है। शारीरिक व्यायाम व मेहनत की कमी, ज्यादा शराब का सेवन कुछ ऐसे कारक हैं जिनके कारण नींद लाख प्रयास के बाद भी नहीं आती। इसलिए सबसे पहले तनाव का प्रबंधन करना है। आप आराम से चैन की नींद सो सकें इसके लिए जो बातें आपकी मानसिक सेहत को प्रभावित कर रही हैं उनका निदान तलाशें। आयुर्वेद के अनुसार वात और पित्त बढ़ जाने से अनिद्रा होती है।
हालांकि, कुछ उपायों के माध्यम से अनिद्रा की समस्या को दूर किया जा सकता है :
- सोने से पहले हाथ-पैर को गुनगुने पानी से साफ करें और सरसों के तेल या शुद्ध गाय के घी से तलवों की मालिश करें।
- अनुलोम-विलोम प्राणायाम, शवासन और योग करने से आप पाएंगे कि नींद जो कभी कभी आती थी अब नियमित आने लगी है।
शरीर चक्र को संतुलित करना होगा
सोने और जागने का समय तय करें। शुरू में यह एक कठिन काम लगेगा पर आप कोशिश करते रहें तो आप पाएंगे एक दिन आपके शरीर का चक्र संतुलित हो रहा है और नींद भी समय पर आने लगी है।
कमरा कैसा है सोने का
अपने सोने का कमरा स्वच्छ रखें। इस कमरे को शांत व अंधकार भरा रखें। इस उपाय से मन शांत रहेगा और नींद आसानी से आयेगी।
दिन में तो नहीं सोते आप
बहुत से लोगों को दिन में सोने की आदत होती है। पर कोशिश करें कि आप ग्रीष्म ऋतु को छोड़ दिन में सोने से बचें, ताकि रात में नींद की निरंतरता बनी रहे।
विचारों का भी योगदान
- सोते समय अपने ईष्ट का ध्यान करते हुए सकारात्मक विचार रखें।
- शयन कक्ष में किसी प्रकार की चिंता या तनाव को लेकर न जाए
बिस्तर पर तभी जाएं
यदि नींद नहीं आ रही हो तो बिस्तर पर न जाएं। सोने के कमरे का प्रयोग सिर्फ निद्रा के लिए करें। बिस्तर पर पड़े-पड़े नींद का इंतजार ना करें। यदि बिस्तर पर देर तक नींद नहीं आ रही हैं तो बिस्तर छोड़ दें, शरीर को थकाने वाला कोई कार्य करें, फिर थोड़ी देर बाद बिस्तर पर जाकर सोने का प्रयास करें।